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भारतीय नववर्ष …डा श्याम गुप्त …

drshyam jagaran blog
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भारतीय नववर्ष …..

१.

पहली जनवरी को मित्र हाथ मिलाके बोले ,

वेरी वेरी हेप्पी हो ये न्यू ईअर,मित्रवर |

हम बोले शीत की इस बेदर्द ऋतु में मित्र ,

कैसा नववर्ष तन काँपे थर थर थर |

ठिठुरें खेत बाग़ दिखे कोहरे में कुछ नहीं ,

हाथ पैर हुए छुहारा सम सिकुड़ कर |

सब तो नादान हैं पर आप क्यों हैं भूल रहे,

अंगरेजी लीक पीट रहे नच नच कर ||

२.

अपना तो नव वर्ष चैत्र में होता प्रारम्भ ,

खेत बाग़ वन जब हरियाली छाती है |

सरसों चना गेहूं सुगंध फैले चहुँ ओर ,

हरी पीली साड़ी ओड़े भूमि इठलाती है |

घर घर उमंग में झूमें जन जन मित्र ,

नव अन्न की फसल कट कर आती है |

वही है हमारा प्यारा भारतीय नव वर्ष ,

ऋतु भी सुहानी तन मन हुलसाती है ||

सकपकाए मित्र फिर औचक ही यूं बोले ,

भाई आज कल सभी इसी को मनाते हैं |

आप भला छानते क्यों अपनी अलग भंग,

अच्छे खासे क्रम में भी टांग यूं अडाते हैं |

हम बोले आपने जो बोम्बे कराया मुम्बई,

और बंगलूरू , बेंगलोर को बुलाते हैं |

कैसा अपराध किया हिन्दी नव वर्ष ने ही ,

आप कभी इसको नज़र में न लाते हैं |

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