महामना पं.मदन मोहन मालवीय को एवं अटल बिहारी बाजपेयी को भारत-रत्न मिलना मुझे एक एतिहासिक घटनाक्रम की कड़ी लगता है | दोनों महानुभावों की प्रशस्तियों से समाचार पत्र, समस्त मीडिया व साहित्य जगत गुंजायमान है | उनकी कर्मठता, कृतित्व एवं इतिहास पुरुष होने के गौरवपूर्ण कार्यों से विश्व अनजान नहीं है | सामान जन्म दिवस एवं शिक्षा, पत्रकारिता, समाज सेवा, अदि में तमाम समानताओं के साथ, दोनों में मूलतः क्या समानता है इस प्रश्न पर हम विचार करना चाहेंगे |
मालवीय जी युगद्रष्टा थे उनके द्वारा अंग्रेज़ी राज्य की गुलामी के काल में बनारस हिन्दू वि.विद्यालय की स्थापना, देश का प्रथम इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना आदि उनकी दूरदृष्टि थी जो निश्चय ही शिक्षा व प्रगति द्वारा देश की स्वतन्त्रता प्राप्ति व आजादी की लड़ाई हेतु तत्पश्चात सुनियोजित विकास हेतु एक पक्की नींव की प्रथम इष्टका थी | १५ अप्रेल १९१९ को आपने इलाहाबाद कोर्ट में हिन्दी के पक्ष में कड़ी बहस अंग्रेज़ी में की, अदालत की काली पोशाक को भी पहनने से इनकार कर दिया | उनके प्रयास से भारत में अन्ग्रेजी राज में ही हिन्दी भाषा को देवनागरी लिपि में सरकारी कार्य एवं न्यायालय की भाषा के रूप में स्वीकृति मिली| आज भी दक्षिण भारत के कुछ हिन्दी संस्थान १५ अप्रेल को हिन्दी दिवस मनाते हैं | इस पहल के बाद कार्यालयों में हिन्दी अधिकारी नियुक्त होने लगे | स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु यह प्रथम दीपशिखा आगे चलकर अंग्रेज़ी राज्य के सूरज को अस्त करने में समर्थ हुई और देश को आज़ादी मिली |
अटल जी भी युगद्रष्टा थे, देश की एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की उन्हें गहन जानकारी थी| वे भी सबको साथ लेकर चलने के अंदाज़ के कारण राजनीति के शिखर पुरुष बने| उनकी कविता उनका वास्तविक परिचय दे देती है— “हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग रग हिन्दू मेरा परिचय “… | इस्लामी अतिवाद को लोकतंत्र के लिए खतरा, परमाणु परीक्षण आदि उनके विकास पुरुष होने के कृतित्व थे| आपने भे प्रथम बार अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर हिन्दी को मान दिलवाया | अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में अपना भाषण दिया | जिसके फलस्वरूप वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हिन्दी में भाषण देकर आगे बढाया| भारतीय जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक रहे अत्रल जी ने विश्व में भारत की साख बढाने में अहम् रोल अदा किया| इस प्रकार उन्होंने देश में पहली बार गैर कांग्रेसी एवं हिंदुत्ववादी संगठन भाजपा की सरकार बनाने की राह प्रशस्त की, जिसका आज परिणाम हम देख रहे हैं |
दोनों महान युगपुरुषों की इस देश, काल, परिस्थिति के अनुसार समानता एवं एक साथ भारतरत्न प्राप्ति व भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में स्थित सरकार की घटना को मैं इस प्रकार देखता हूँ कि महामना मालवीय जी के प्रयासों के फलस्वरूप अंग्रेज़ी राज से प्राप्त स्वतंत्रता हमारी राजनैतिक स्वतंत्रता थी जो भारत की प्रथम स्वतन्त्रता थी | अटल जी के प्रयासों के फलस्वरूप आज मोदी सरकार के रूप में हमें, भारत को द्वितीय स्वतन्त्रता प्राप्त हुई जो सांस्कृतिक स्वतन्त्रता का प्रारम्भ है, हार्वर्ड पढे लिखे, काले – अंग्रेजों व अंग्रेजियत से भारतीयता की ओर लौटने का |
निश्चय ही आज का दिवस भारत एवं भारतीय जनता के लिए महत्वपूर्ण है|
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