—— मेरे द्वारा प्रसूत..अतुकांत कविता विधा .अगीत का एक विशिष्ट छंद ….त्रिपदा अगीत… जिसमें १६-१६ मात्राओं की तीन पंक्तियाँ होती है ……प्रस्तुत है कुछ त्रिपदा अगीत…..
१.
यद्यपि परिवर्तन मुश्किल है, साथ वक्त के यदि न चलेंगे; तो पिछड़े ही रह जायेंगे |
२.
सपने देखें, स्वाभाविक है, झूठे ख्वाव न देखे कोई; सच कर पायें, सपने देखें |
3.
राहों में कांटे मिलने पर , चलना बंद नहीं कर देना; अपने पथ से मत डिग जाना |
४.
चर्चाएँ थीं स्वर्ग, नरक की, देखी तेरी वफ़ा-जफा तो; दोनों पाए तेरे द्वारे |
५.
जग में खुशियाँ हैं इनसे ही, हसीन चहरे, खिलते फूल; खिलते रहते गुलशन गुलशन |
६.
खड़े सड़क इस पार रहे हम, खड़े सड़क उस पार रहे तुम; बीच में दुनिया रही भागती |
7.
चमचों के मज़े देख हमने, आस्था को किनारे रख दिया; दिया क्यों जलाएं हमीं भला|
८.
अंधेरों की परवाह कोई, न करे, दीप जलाता जाए; राह भटके को जो दिखाए |
९.
सिद्धि प्रसिद्धि सफलताएं हैं, जीवन में लाती हैं खुशियाँ ; पर सच्चा सुख यही नहीं है |
१०.
मन को समझे यदि यह मानव, तो समझेगा बात सही है; तन की कीमत कुछ न कहीं है |
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