शिक्षक दिवस पर शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी द्वारा नयी शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा स्वागत योग्य कदम है | परन्तु सरकार को ध्यान रखना होगा कि पिछले १०-१५ वर्षों से जो पश्चिमी अन्धानुकरण के हामी राजनीतिज्ञों व तथाकथित शैक्षिक विद्वानों द्वारा देश में प्रचालित, संचालित व प्रचारित “ रोज़गार परक शिक्षा “ …जो विशेषज्ञ, प्रोफेशनल संस्थाओं का कार्य है, स्कूलों, कालेजों, विश्व-विद्यालयों का नहीं ….की अपेक्षा वास्तविक शिक्षा को लाना होगा | साथ ही बच्चों व छात्रों के लिए तात्कालिक लुभावनी व लाभकारी लगने वाली पाश्चात्य-परक योजनाओं को बंद करना होगा … यथा छात्रों को परीक्षाओं में श्रेणियां देकर अगली कक्षा में प्रवेश दे देना, अनुत्तीर्ण करने की अपेक्षा | स्कूल व विद्यालय वास्तविक अर्थ में विद्या, शिक्षा प्रदान करें जो बच्चों व छात्रों को मानवता, मानव-आचरण, सदाचार, सत्यनिष्ठा, धर्म-चिंतन, समाज-संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता, भारतीयता, देशभक्ति आदि गुण प्रदान करें नकि सिर्फ कुशल कारीगर व विशेषज्ञ परन्तु भ्रष्ट व बेईमान व्यक्ति बनाएं |
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