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कितना अच्छा होगा जब….नव गीत —-डा श्याम गुप्त ….

drshyam jagaran blog
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कितना अच्छा होगा जब….नव गीत —-डा श्याम गुप्त …..

कितना अच्छा होगा जब,
बिजली पानी न आयेगा |

ऐसी कूलर नहीं चलेंगे ,
पंखा नाच नचाएगा ||

छत की शीतल मंद पवन में,
सोने का आनंद मिलेगा |
जंगल-झाडे के ही बहाने,
प्रातः सैर को  वक्त मिलेगा |

नदी कुआं और ताल नहर फिर,
जल क्रीडा का सेतु बनेंगे |
शाम-सुबह छत पर, क्रीडाओं-
चर्चाओं के दौर चलेंगे |

नहीं चलेंगे फ्रिज टीवी ,
डिश-केबुल न आयेगा ||

मिलना जुलना फिर से होगा,
नाते-रिश्तेदारों में |
उठाना बैठना घूमना होगा,
पास पडौसी यारों में |

घड़े सुराही के ठन्डे जल-
की सौंधी सी गंध मिलेगी |
खिरनी फालसा शरवत कांजी ,
लस्सी औ ठंडाई घुटेगी |

घर-कमरों में बैठे रहना,
शाम समय न भाएगा ||

भोर में मंदिर के घंटों की,
ध्वनि  का सुख आनंद मिलेगा |
चौपालों पर ज्ञान वार्ता,
छंदों का संसार सजेगा |

धन्यवाद है शासन का,
इस अकर्मण्यता का वंदन है
धन्य धन्य हम भारत वासी ,
साधुवाद है अभिनन्दन है |

लगता है अब तो यारो,
सतयुग जल्दी आजायेगा ||

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