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गज़ल ..डा श्याम गुप्त …

drshyam jagaran blog
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ऐ हसीं ताज़िंदगी ओठों पै तेरा नाम हो |
पहलू में कायनात हो उसपे लिखा तेरा नामहो |

ता उम्र मैं पीतारहूँ यारव वो मय तेरेहुश्न की,
हो हसीं रुखसत का दिन बाहों में तू होजाम हो |

जाम तेरे वस्ल काऔर नूर उसके शबाब का,
उम्र भर छलका रहे यूंही ज़िंदगीकी शाम हो |

नगमे तुम्हारेप्यार के और सिज़दा रब के नाम का,
पढ़ता रहूँ झुकता रहूँ यही ज़िंदगी कामुकाम हो |

चर्चे तेरेज़लवों के हों और ज़लवा रब के नाम का,
सदके भी हों सज़दे भी हों यूहीज़िंदगी ये तमाम हो |

या रब तेरीदुनिया में क्या एसा भी कोई तौर है,
पीता रहूँ , ज़न्नत मिले जब रुखसतेमुकाम हो |

है इब्तिदा , रुखसत के दिन ओठों पै तेरा नाम हो,
हाथ में कागज़-कलम स्याही से लिखाश्यामहो ||

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