drshyam jagaran blog
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यदितुमआजातेजीवनमें,
निश्वासोंमेंबसकरमनमें |
कितनेसौरभकणसेहेप्रिय!
बिखराजातेइसजीवनमें |
गातेरहतेमधुरिमपल–छिन,
तेरेहीगीतोंकाविहान |
जानेकितनेवेइन्द्रधनुष,
खिलउठतेनभमेंबनवितान |
खिलउठतींकलियाँउपवनमें|
यदितुमआजातेजीवनमें ||
संसृतिभरकेसन्दर्भसभी,
प्राणोंकीभाषाबन्जाते |
जानेकितनेनव–समीकरण,
जीवनकीपरिभाषागाते |
पथमेंजानेकितनेदीपक,
जलउठतेबनकरदीप–राग |
चलतेहमतुममनमीतबने,
बजउठतेनवसंगीतसाज |
जलताराधाकाप्रणय–दीप,
तेरेमनकेवृन्दाबनमें |
यदितुमआजातेजीवनमें ||
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