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गज़ल …प्रविष्टि ( contest)..उन के अश्कों को……डा श्याम गुप्त…

drshyam jagaran blog
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उन के अश्कों को

उन के अश्कों को पलकों से चुरा लाये हैं |

उनके गम को हम खुशियों से सजा आये हैं

आप मानें या न मानें यह तहरीर मेरी ,

उनके अशआर ही ग़ज़लों में उठा लाये हैं|

उस दिए ने ही जला डाला आशियाँ मेरा ,

जिसको बेदर्द हवाओं से बचा लाये हैं |

याद करने से भी दीदार न होता उनका,

इश्क में यूंही तड़पने की सजा पाए हैं|

प्यार में दर्द का अहसास कहाँ होता है,

प्यार में ज़ज्ब दिलों को ही जख्म भाये हैं|

प्रीति है भीनी सी बरसात क्या आलम कहिये,

रूह क्या अक्स भी आशिक का भीग जाए है|

श्याम करते हैं सभी शक मेरे ज़ज्वातों पे,

हम से ही दर्द के नगमे जहां में आये हैं||

———— डा श्याम गुप्त…

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