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कविता …प्रविष्टि ( कांटेस्ट)..मम्मी इमोशनल होगई हैं… डा श्याम गुप्त

drshyam jagaran blog
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मम्मी इमोशनल होगई हैं…

पुत्रवधू का फोन आया –
बोली, पापा ‘ढोक‘,
घर का फोन उठ नहीं रहा ,
कहाँ व कैसे हैं आप लोग ?
खुश रहो बेटी, कैसी हो …
ठीक हैं हम भी ,
ईश्वर की कृपा से मज़े में हैं , और-
इस समय तुम्हारे कमरे में हैं ।

क्या …?
हाँ बेटा , जयपुर में हैं ,
तुम्हारे पापा के आतिथ्य में ।

हैं …. ! मम्मी कहाँ हैं , पापा ?
बैठी हैं तुम्हारे कमरे में,
तुम्हारे पलंग पर, सजल नयन ….
मम्मी इमोशनल होगई हैं, और-
बैठी विचार मग्न हैं –
सिर्फ यही नहीं कि,
कैसे तुम यहाँ की डोर छोड़कर
गयी हो वहां,
अज़नबी, अनजान लोगों के बीच, अनजान डगर ,
हमारे पास ।
अपितु – साथ ही साथ ,
अपने अतीत की यादों के डेरे में , कि-
कभी वह स्वयं भी अपना घर-कमरा-
छोड़कर आयी थी ;
और तुम्हारी ननद भी ,
अपना घर, कमरा, कुर्सी- मेज-
छोड़कर गयी है ,
इसी प्रकार ……और……।।



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