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भारतीय राजनीति के आकाश में नारियों का योगदान
यूं तो पुरा-काल, वैदिक काल से लेकर अब तक मानव समाज के अर्धांश भाग, नारी का समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अतुलनीय व असीम योगदान से कोई अनभिज्ञ नहीं है | परन्तु इस आलेख का विषय-क्षेत्र मूल रूप से राजनीति की विसात पर नारियों के तप, त्याग, बलिदान एवं सक्रिय कर्तत्व पर प्रकाश डालना है|
पार्वती, रणकौशल से युक्त,नीतिज्ञ व शास्त्र-कुशल थीं, जिन्होंने विविध रूपों में युद्धों के सक्रिय संचालन एवं नीति-कुशलता से देवों, दैत्यों व मानवों की प्रगति में सहयोग दिया व प्रत्येक स्तर पर आसुरी शक्तियों का विनाश किया | इसीलिये शिव के ब्रह्म रूप के साथ पार्वती को प्रकृति व आदि-शक्ति कहा गया |
गन्धर्वों-विद्याधरों द्वारा वेदों के अपहरण पर सरस्वती ने वेदों को पुनर्प्राप्ति हित देवताओं को नीति-कौशल सुझाया कि वे स्त्री लोभी गन्धर्वों-विद्याधरों से उनके बदले वेद प्राप्त करलें तत्पश्चात मैं पुनः देवों के पास लौट आऊँगी | इस प्रकार देवों को धार्मिक एवं राजनैतिक संकट से उबारा गया |
,, सरमा ने पणियों द्वारा बृहस्पति की गायों को चुराकर छुपाने के प्रकरण में अपनी कूटनीति व खोजी ज्ञान द्वारा गायों के छुपे होने के स्थान का पता लगाया, तत्पश्चात पणि-समूह का विनाश करके इंद्र द्वारा गायों को पुनः प्राप्त किया गया |
सुकन्या ने अपनी भूल व असावधानी से उत्पन्न राजनैतिक संकट से अपने गृह-राज्य व पिता को उबारा | वृद्ध च्यवन ऋषि से विवाह करके एवं जीवन भर उनकी सेवा-श्रुशूषा द्वारा उन्हें पुनः यौवन प्राप्त भी कराया |
सीता का तप, त्याग, बलिदान की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही| पहले सीता-हरण ( कहीं कहीं रावण का वध भी आदि-शक्ति रूप में सीता द्वारा ही किया गया वर्णित है ) फिर अयोध्या परित्याग प्रकरण में लव-कुश के द्वारा अयोध्या के निकट स्थित सबसे बड़े शक्ति-केंद्र वाल्मीकि -आश्रम की समस्त शक्तियों को अयोध्या के हेतु प्राप्त करके अयोध्या को पूर्ण निरापद बनाने में राम की कूटनीति में सहायक होना | इस सब में उर्मिलाका लक्ष्मण के साथ न जाकर उन्हें देश-समाज हेतु पूर्ण रूप से मुक्त रखने में किये गए तप-त्याग, रावण के भारतीय विजित प्रदेश दक्षिणी भूभाग एवं उत्तरीय भूभाग की सीमा पर स्थित रक्षिका व सेनापति रूप ताड़का का राजनैतिक वर्चस्व तथा रावण द्वारा पति-ह्त्या की आग में जलती रावण की बहन शूर्पणखाका रावण को दंड दिलाने हेतु किये गए कृत्य के राजनैतिक महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता |
द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का उपहास एवं चीरहरण के पश्चात उसका संकल्प महाभारत युद्ध एवं पांडवों को श्रीकृष्ण के अहयोग का मूल कारण ही बना जिसने देश के साथ साथ विश्व राजनीती एवं इतिहास की दिशा ही बदल दी|
राधा के महान त्याग जिसने असीम विरह वेदना सहकर भी प्रेम को बंधन न बनाकर, कृष्ण को प्रेम-बंधन में न बांधकर अपितु अपने प्रेम को उनकी शक्ति बनाकर मथुरा जाने के लिए प्रेरित किया एवं कर्म से विरत न होने का सन्देश दिया | जिसका ब्रज, पूरे भारत एवं विश्व की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हुआ| जिसे युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा| जिसके कारण कृष्ण, श्रीकृष्ण व भगवान् श्रीकृष्ण हुए एवं गीता के कर्म-योग का ज्ञान विश्व को प्राप्त हुआ| इसी प्रेम व कर्म के कर्तत्व के कारण राधा, श्रीकृष्ण के साथ युगल रूप में पूज्या बनीं, जो विश्व इतिहास में एक अनुपम व अतुलनीय उदाहरण है|
पन्ना धाय का त्याग की राजनैतिक बिसात का कम महत्त्व नहीं है |
सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी आदि का नाम कौन नहीं जानता |
स्वतन्त्रता पश्चात काल में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की राजनैतिक शक्ति का पूरे विश्व में डंका बजा | आज न जाने कितनी महिलायें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, राजनयिक, ग्राम-प्रधान आदि बनकर देश की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम किये हुए हैं, इसे सम्पूर्ण विश्व देख व जान रहा है |
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